रविवार, 26 जून 2011

क्या है दिशा और दशा ?

भ्रष्टाचार का कैसे मुकाबला किया जाए. इस मुद्दे पर इन दिनों देश में बहस छड़ी हुई है. बहस और प्रदर्शन ऐसा कि इस पर देश के दिग्गज हस्तियां दांव आजमा रही है. अन्ना हजारे, बाबा रामदेव, किरण बेदी, स्वामी अग्निवेश और इन सब के साथ है पूरा देश. कुछ तो इस मुहिम में जुड़कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हुए हैं. वो भी हमारे ही देश के नागरीक हैं. भ्रष्टाचार करने वाले भी हमारे ही देश हैं. सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकेगी...? क्या वास्तव में लोकपाल बिल बन जाने के बाद इस पर लगाम लगेगा...? क्या भ्रष्टाचार की दीमकों में कानून का ख़ौफ रहेगा...? क्या कानून इस पर पूरी इमानदारी से अमल किया जाएगा...? क्या कोई भी इस बात की गारंटी लेगा की इस कानून का देश में मजाक नहीं बनाया जाएगा जैसा कि अन्य कानून के साथ होता है...? हम मानते हैं कि अब भी देश में इमानदार लोगों की कमी नहीं है. लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि भ्राष्टाचारियों का बोलाबाला है। न्यायपालिका हो या फिर कार्यपालिका सभी जगहों पर भ्रष्टाचार के दीमकों ने अपनी पैठ बना रखे हैं। इसे खत्म करना वैसा ही काम है जैसा कि दूध में से पानी को अलग करना. दूध में पानी की मिलावट की जांच के लिए लेक्टोमीटर तो बन गया है. फिरभी दूध को पानी से अलग करने की अब तक कोई युक्ति नहीं बनी है. ऐसा ही कुछ हाल मुझे इस देश का लगता है. हर कोई जानता है कि फला जगह पर भ्रष्टाचार हो रहा है. ये काम गैरकानूनी है. ऐसा करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए. बावजूद इसके इन पर लगाम नहीं लगाया जा सका है। बात अगर भ्रष्टाचार की कहानी की करें तो ये इतनी लंबी हो चुकी है अगर इसे लिखना शुरू किया जाए तो देश की स्याही खत्म हो जाएगी और कागज कम पड़ जाएंगे. लेकिन इन भ्रष्टाचारियों के कारनामे कम नहीं पड़ेंगे. शायद देश का कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जिसका सामना भ्रष्टाचार से नहीं हुआ होगा. इसके बाद भी अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुए देश को छह दशक बीत गए हैं लेकिन कानून का किसी को खौफ नजर नहीं आता है। इस पर अंकुश लगाने के लिए आखिर कवायद शुरू हो चुकी है। जिस प्रकार क्रिकेट के मैच के दौरान पूरा देश एक नजर आता है वैसा ही लोकपाल बिल के मसौदे पर पूरा देश एक दिख रहा है। हर कोई भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहता है। वो चाहे कैसे भी हो।

3 टिप्‍पणियां:

  1. गुड़ी के गोठ जरूरी हावे, आपो सीखव हमू मन सीखबोन.

    छत्‍तीसगढ़ ब्‍लॉगर्स चौपाल में आपका स्‍वागत है.
    आरंभ
    गुरतुर गोठ

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  2. आचार्य बालकृष्ण का कार्यक्रम नेशनल चैनल यानी दूरदर्शन पर चलता था, तब बालकृष्ण फर्जी व्यक्ति नहीं थे। जब चार-चार मंत्री रामदेव की अगुवाई करने गए, तब रामदेव ठग नहीं थे। प्रशांत भूषण वर्षों से सुप्रीमकोर्ट में वकालत करते हैं, तब वो दलाल नहीं थे। सालों से मंदिर में सोए रहे अन्ना आरएसएस का मुखौटा नहीं थे। उनके संपत्ति की जांच नहीं गई। लेकिन आज जब इन लोगों ने भ्रष्टचार और कालेधन के खिलाफ आवाज उठाया तो बालकृष्ण फर्जी व्यक्ति हो गए, रामदेव ठग हो गए, प्रशांतभूषण राजस्व चोर हो गए, अन्ना हजारे आरएसएस का मुखौटा हो गए। क्या ये समझना किसी अंधे-बहरे व्यक्ति के लिए भी मुश्किल है। ये सरकार लोगों को ठग बनाती है, चोर बनाती है, फर्जी बनाती है, आरएसएस का मुखौटा बनाती है। वो भी उन लोगों को जो उसके खिलाफ जबान खोलते हैं। मीडिया को खरीदकर खुलकर ईमानदार घोषित करती है। भ्रष्टाचारियों को शह देती है। ऐसे में भ्रष्टाचार मिटेगा कैसे। कैसे होगा कालेधन का खात्मा। दरअसल, इस कालेधन में सरकार के कई मंत्रियों, विपक्षी दल के नेताओं की हिस्सेदारी है, सोनिया, राहुल, राजीव गांधी का पैसा है। आखिर सरकार इनकी पोल कैसे खुलने देगी। यही वजह है कि सरकार अच्छे लोगों का चरित्र हनन करती है। आनेवाले समय में भी सरकार भ्रष्ट लोगों को बचाने के लिए सारे संवैधानिक मर्यादाओं को लांघने और संवैधानिक की हत्या करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। इसलिए सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएगी, और मनमोहन अपनी छवि सुधारेंगे यह सोचना मुर्खता है।

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  3. बहुतेरे तो एक मिस काल या एसएमएस से ही क्राति लाने में जुटे हुए हैं.

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