रविवार, 10 जुलाई 2011

भ्रष्टाचार के खिलाफ हो पदयात्रा...

राहुल गांधी की पदयात्रा को मीडिया ने खूब महिमा मंडित किया। क्या इस देश में ख़बरों का टोटा पड़ गया था, जो मीडिया राहुल गांधी के पीछे भागे जा रहा था। जो न कि प्रधानमंत्री हैं और न ही किसी राज्य के मुख्यमंत्री और न ही उन जैसे किसी पोस्ट की शोभा बढ़ा रहे हैं। राहुल गांधी तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव हैं। कांग्रेस पार्टी में और भी महासचिव हैं पर मीडिया तो उन पर फोकस नहीं करती है। देशवासियों को राहुल गांधी से क्या लेना देना। क्या गांधी परिवार में पैदा होना ही महानता की निशानी है? अगर ऐसा है तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बेटों को तरजीह क्यों नहीं दी गई। जब मैने इन सवालों का जवाब ढुंढने की कोशिश की तो पता चला कि राहुल गांधी को उनकी पार्टी अगले प्रधानमंत्री के रूप में देख रही है। इसलिए कांग्रेस में राहुल को आंधी समझा जाता है। रही बात मीडिया की तो वो वहां पर भी कुछ ऐसे लोग विराजमान हैं जो समझते हैं कि राहुल प्रधानमंत्री बन जाएंगे तो उनका बल्ले-बल्ले हो जाएगा। लिहाजा मीडिया राहुल पर अपना ध्यान केन्द्रित करती है ऐसा मुझे लगता है। लेकिन ये तो भविष्य ही बताएगा की राहुल की ऊंट किस करवाट बैठेगी। राहुल जी आप यूपी की राजनीति में लगे हुए हैं। क्या आपको उत्तरप्रदेश का सीएम बनना है?  पूरा देश इस बात को जानता है कि अगले साल यूपी में चुनाव होना है। इसलिए आप किसानों के चहेते बनकर आगे आ रहे हैं। लेकिन देशवाशी तो पूरी देश की समस्या केन्द्र सरकार के सामने लागने की मांग कर रहे हैं। और आप हैं कि यूपी के पीछे पड़े हुए हैं। हम सब जानते हैं कि लोकसभा में किसी भी राज्य में सबसे ज्यादा सीट उत्तरप्रदेश में ही है। वहां के परिणाम देश की राजनीति की दिशा और दशा तय करते हैं। बावजूद इसके देश के नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। पूरे देश में किसानों के साथ शोषण हो रहा है। हर राज्य औद्योगिक विकास के चक्कर में किसानों की ऊपजाउ भूमि को छिनने में लगा हुआ है। बदले में किसानों को पकड़ाए जा रहे हैं कागज के चंद तुकड़े। तमिलनाडू से लेकर जम्मू-काश्मीर तक, अरुणांचल से लेकर गुजरात तक किसानों की यही दशा है। आप लोगों के हमदर्द बनने के लिए पदयात्रा कर रहे हैं। आम लोगों से मिल रहे हैं। किसी गरीब किसान के घर रात बिता रहे हैं। ऐसा करके आप उनके दुख औऱ दर्द को महसूस करने की कोशिस कर रहे हैं। लेकन यहां पर सवाल ये है कि आपने अब तक कितने किसानों को उनके कष्ट से मुक्ति दिलाई है। कलावती के घर रात बिताने के बाद संसद में उसका नाम लेने से देश के किसानों की समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। देश की 80 फीसदी जनता गरीब है। गरीब और गरीब होते जा रहा है। नेता गरीबी हटाओ की जगह में गरीब हटाने के जुमले पढ़ते नजर आते हैं। वे किसी गरीब को अपनी चौखट पर कदम नहीं रखने देना चाहते हैं। चुनाव के वक्त भले ही वो उनके दर पर माथा टेकने से भी परहेज नहीं करते हैं। एक वक्त था जब महात्मा गांधी ने देश को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्ति दिलाई थी। इसके लिए उन्हे कितने कष्ट और अपमान मिले ये तो हमने सिर्फ किताबों में पढ़ा और फिल्मों में देखा है। उस वक्त भी देश में कई समस्याए थी लेकिन वो समस्या अंग्रेजों की गुलामी से बड़ी नहीं थी। इसी तरह इस वक्त देश भ्रष्टाचार के दलदल में फंसा हुआ है। दिनों दिन गर्त की ओर जा रहा है। अन्ना हजारे, बाबा रामदेव जैसे लोग जब इस मुद्दे पर ठोस कानून बनाने की पैरवी करने के लिए आंदोलन कर सकते हैं तो फिर आप  ऐसे आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा क्यों नहीं लेते हैं। अगर आप इस मुद्दे पर आप आगे आएंगे तो यकीन मानिए पूरा देश आपके साथ खड़ा होगा। जैसा देश को आजादी दिलाने के लिए लोग महात्मा गांधी के साथ थे। राहुलजी पूरा देश आपसे उम्मीद करता है कि आप भ्रष्टाचार के मुद्दे को उझालें। हो सके तो भ्रष्टाचार के खिलाफ पदयात्रा करें... 

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