सोमवार, 27 जून 2011

छत्तीसगढ़िया सबले बढिया... फेर काहे के सरम..?

छत्तीसगढ़ी बोली ल राजभाषा के दरजा मिले तीन बछर ले जादा के समय बीते जात हे, फेर इहां के रहइया मन छत्तीसगढ़ी बोले म समाथें। लोगन के मन म ये धारना बइठ गे हे के छत्तीसगढ़ी बोले ले वो गवइहां हो जाही। अऊ कुछ अइसनहे समझ हे इहां के लोगन के। छत्तीसगढ़ी बोली बोले वाला के संग म गलत बेवहार करे जाथे। फेर एक बात मे ह आप मन के आगु म रखत हवं। ये बात म थोड़कुन गौर करिहव, तीन बछर पहिली मे ह देस के एक अइसे राज्य म गए अऊ तीन बछर ऊहां रहेव जौन राज्य के निरमान भाषा के आधार म सबले आगु होए रहिस मोर कहे के मतलब हे आंध्रप्रदेस जिंहा तेलगू बोले जाथे अऊ इहां के रहवइया मन ल न तो कोनो तरह के सरम आए न ही कोनो तरत के झिझक। इहां त  हिन्दी अऊ अंग्रेजी बोले वाला मन ल छोटे नजर ले देखे जाथे। ये ह देस के एक्केच राज्य नो हए जिंहा ये तरीका के हालत हे। बंगाल, असम, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, ओड़ीसा अऊ कई अऊ राज्य हे जिहां के लोगन मन उहां के बोली या भाखा ल बोले म नइ सरमावय। फेर छत्तीसगढ़िया काहे सरमाथे छत्तीसगढ़ी बोले म ये ह सोचे के बिसय हे। ये बोली ह आम जन भाखा कब बनही, ये घलो सोचे के बिसय हे। सरकार ल घलो सोचना पड़ही। राजभाषा भर के दरजा देहे ले सरकार के काम ह खतम नइ हो जावए। सरकार ल एकर प्रचार-प्रसार बर पूरा जोर लगाना पड़ही। मंच ले भाषन देत "छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया" कहे ले काम नइ बनय। छत्तीसगढ़ी ल जन-जन के भाषा बनाए बर पूरा जोर लगाए ल पड़ही।  संग म इहां के लोगन ल सरम अऊ झिझक घलो ल छोड़े ल पड़ही। तब जाके छत्तीसगढ़ी ह आम जन के भाषा बन पाही। नइ तो राज ठाकरे जइसे कोनो छत्तीसढ़िया ल रुप धरे ल पड़ही जेकर ले छत्तीसगढ़ के कल्यान होही। मै ये जानत हंव के सरकार ह छत्तीसगढ़ी बोली ल बढ़ावा दे बर छत्तीसगढ़ी के किस्सा कहिना ल पाठ्य पुस्तक म जोड़े हे। संग म रेलवे इस्टेसन घलो म अब छत्तीसगढ़ी ले एनाउंस होय ल सुरू कर दे हे। अऊ त अऊ इहां के कुछ राजनीतिक पार्टी के दबाव म मोबाइल कंपनी मन घलो छत्तीसगढ़ी म गोठियाय ल धर ले हें। फेर हम सब ल जुर मिल के ये बोली ल जन जन के बोली बनाए बर काम करे ल पड़ही। मोर हर छत्तीसगढ़िया ले निवेदन हे के वो छत्तीसगढ़ी बोली के प्रचार प्रसार म जोर दे। मै ह आप मन ल बता दव के मै ह रोज छत्तीसगढ़ी म समाचार लिखथव अऊ प्रदेस के जनता के बीच ओकर प्रसान घलो होथे। एकर पहिली मै ह हिन्दी म समाचार लिखे के काम करत रहेंव फेर मोला वो मजा नइ आत रहिस हे जेन अब आथे। जय छत्तीसगढ़, जय-जय छत्तीसगढ़

4 टिप्‍पणियां:

  1. छत्तीसगढ़ी के ब्लाग माँ छत्तीसगढ़िया मन तको नई आवय.आज छत्तीसगढ़ के नवा पीढ़ी इंटरनेट के उपयोग में कोन्हो प्रदेस ले पाछू नहीं हे फेर अपन भाखा के पतरिका अउ ब्लाग डहर झांके तक नहीं.संजीव तिवारी जी के गुरतुर गोठ ,छत्तीसगढ़ी के सुग्घर नेट पतरिका हे.महूंअपन मितानी गोठ अउ सियानी गोठ ब्लाग ला छत्तीसगढ़ी के सेवा माँ समरपित करे हौं. छत्तीसगढ़िया ब्लागर मन ले बिनती हे कि इन ब्लाग ला प्रोत्साहित करयं अउ नवा पीढ़ी ला प्रेरित करयं.

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  2. ब्लॉग जगत मा आपके हार्दिक स्वागत हे। ब्लॉग के माध्यम से अपन दाई भाखा के प्रचार प्रसार सराहनीय कार्य हे। आपके अभिनंदन हे। गाड़ा गाड़ा बधाई।

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  3. बोले ल तो हमी ल परिही, सरकार थोरे जोजियाही. अउ मोबाइल म जे तरह के छत्‍तीसगढ़ी बोले जात हे, ते ल सुन के लगथे कि ओही हर छत्‍तीसगढ़ी ए त तो हमन बोलथन तेन आन कुछु आय.

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  4. बने लिखे हावव प्रशांत भाई, हमन ला अपन भाखा के मान राखे ला परही. अइसनेहे लिखत रहिहव.

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