करुणा और कांग्रेस
भाजपा की पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष करूणा शुक्ला के कांग्रेस में शामिल होने से कांग्रेस के अंदरूनी समीकरण में बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है। उन्हें कांग्रेस में लाने में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का बड़ा हाथ माना जा रहा है। उनके कांग्रेस प्रवेश के मौके पर जोगी खास तौर पर मौजूद थे।जोगी के इस दांव के अब कई मायने तलाशे जा रहे हैं। करूणा ने 2004 में महंत को जांजगीर से हराया था,तो जोगी के करीबी माने जाने वाले कई नेता भाजपा में शामिल हुए थे, जो बाद में भाजपा की राजनीति में कभी सक्रिय नजर नहीं आए । हालांकि 2009 में महंत ने कोरबा सीट से करूणा शुक्ला को हराकर अपनी हार का बदला ले लिया और अब करूणा को कांग्रेस में लाने का श्रेय भी महंत नहीं लेना चाहते। करूणा के कांग्रेस में आने के साथ ही उनकी बिलासपुर सीट से दावेदारी भी सामने आने लगी है। कांग्रेस के लिए कठिन मानी जा रही इस सीट से पार्टी संगठन जोगी को मैदान में उतारना चाहता है। यदि करूणा को बिलासपुर से उम्मीदवार बनाया जाता है तो दुर्ग से रविंद्र चौबे और प्रदीप चौबे और महासमुंद से प्रतिभा पांडेय की दावेदारी पर इसका सीधा असर पड़ेगा, जो राजनीतिक रूप से जोगी विरोधी माने जाते हैं। जोगी ने जिस तरह करूणा शुक्ला का कांग्रेस में आने का स्वागत किया है, उससे समझा जा सकता है कि वे बिलासपुर से करूणा की उम्मीदवारी का समर्थन ही करेंगे। अटल विहारी वाजपेयी की भतीजी को कांग्रेस चुनाव लड़ाकर देशभर में संदेश देना चाहेगी और बदले में जोगी मनचाही सीट मांग सकते हैं। कहा जाता है कि इस बार उनकी नजर कांकेर सीट पर है। वहीं करूणा की उम्मीदवारी तय होने पर जातीय समीकरण के मद्देनजर कई बड़े नेताओं के मंसूबों पर पानी फिर सकता है।
भाजपा की पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष करूणा शुक्ला के कांग्रेस में शामिल होने से कांग्रेस के अंदरूनी समीकरण में बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है। उन्हें कांग्रेस में लाने में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का बड़ा हाथ माना जा रहा है। उनके कांग्रेस प्रवेश के मौके पर जोगी खास तौर पर मौजूद थे।जोगी के इस दांव के अब कई मायने तलाशे जा रहे हैं। करूणा ने 2004 में महंत को जांजगीर से हराया था,तो जोगी के करीबी माने जाने वाले कई नेता भाजपा में शामिल हुए थे, जो बाद में भाजपा की राजनीति में कभी सक्रिय नजर नहीं आए । हालांकि 2009 में महंत ने कोरबा सीट से करूणा शुक्ला को हराकर अपनी हार का बदला ले लिया और अब करूणा को कांग्रेस में लाने का श्रेय भी महंत नहीं लेना चाहते। करूणा के कांग्रेस में आने के साथ ही उनकी बिलासपुर सीट से दावेदारी भी सामने आने लगी है। कांग्रेस के लिए कठिन मानी जा रही इस सीट से पार्टी संगठन जोगी को मैदान में उतारना चाहता है। यदि करूणा को बिलासपुर से उम्मीदवार बनाया जाता है तो दुर्ग से रविंद्र चौबे और प्रदीप चौबे और महासमुंद से प्रतिभा पांडेय की दावेदारी पर इसका सीधा असर पड़ेगा, जो राजनीतिक रूप से जोगी विरोधी माने जाते हैं। जोगी ने जिस तरह करूणा शुक्ला का कांग्रेस में आने का स्वागत किया है, उससे समझा जा सकता है कि वे बिलासपुर से करूणा की उम्मीदवारी का समर्थन ही करेंगे। अटल विहारी वाजपेयी की भतीजी को कांग्रेस चुनाव लड़ाकर देशभर में संदेश देना चाहेगी और बदले में जोगी मनचाही सीट मांग सकते हैं। कहा जाता है कि इस बार उनकी नजर कांकेर सीट पर है। वहीं करूणा की उम्मीदवारी तय होने पर जातीय समीकरण के मद्देनजर कई बड़े नेताओं के मंसूबों पर पानी फिर सकता है।